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आयकर छापे व सर्वे-कैसे बचे या पड़ जाए तो कैसे सामना करें

B.P.Mundra > Articles > आयकर छापे व सर्वे-कैसे बचे या पड़ जाए तो कैसे सामना करें

admin April 26, 2020 0 Comments

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आयकर छापे व सर्वे- Please click the link to see the video



‎1.‎ आयकर छापे व सर्वे का मुख्य उद्देश्य आयकर की चोरी को पकड़ना या ‎चोरी को रोकना है ‎

a.‎ आयकर का छापा पड़ने का मुख्य कारण इन में से एक है
i.‎ धारा 131(1) या 142(1) में आए नोटिस का विधिवत रुप ‎से पालन नहीं करना। मतलब जवाब नहीं देना या संतुष्टि ‎पूर्ण रूप से जवाब नहीं देना।
ii.‎ आयकर अधिकारी को यह विश्वास हो की निर्धारिती के ‎पास अघोषित आय, संपत्ति, ज्वेलरी आदि कम से कम 50 ‎Lacs है।
b.‎ सर्वे होने का मुख्य कारण है की आप कोई भी कारण से आयकर ‎अधिकारियों की नजर में हो जैसे कि आपने बहुत बड़ी कोई पार्टी ‎की है या कोई शादी हुई है या कोई बहुत बड़ा कोई खर्चा किया है ‎या आपने कोई प्रॉपर्टी खरीदी है उस समय आपके अघोषित आय ‎या खर्चे से संबंधित जांच के लिए सर्वे हो जाता है
‎ ‎

‎2.‎ आयकर सर्वे एवं सर्च में निम्न अंतर है

a.‎ ‎ आयकर की सर्च ऑफिस या घर या कोई भी place पर हो ‎सकती है लेकिन सर्वे जहां आपका बिजनेस होता है सिर्फ वही ‎होगा अगर आपका घर पर आपका ऑफिस है या आप की बुक्स ‎वह पड़ी है तो ही घर पर सर्वे होगा सर्वे में पहले केवल बिजनेस या ‎प्रोफेशनल गतिविधियों पर ही कार्य भी की जा सकती थी अब नए ‎नियमों के अनुसार चेरिटेबल आर्गेनाइजेशन का भी सर्वे किया जा ‎सकता है

b.‎ सर्च के दौरान आपकी बुक्स, रूपए, ज्वेलरी या कोई मूल्यवान ‎वस्तु जब्त की जा सकती है लेकिन सर्वे के दौरान केवल आपकी ‎बुक्स इंपाउंड की जा सकती है ‎

c.‎ सर्च के दौरान आप या कोई भी वहां पर उपस्थित की फिजिकल ‎जांच भी की जा सकती है लेकिन सर्वे के दौरान आप या कोई ‎भी वहां पर उपस्थित की फिजिकल जांच नहीं की जा सकती ‎

d.‎ अब नए नियमों के अनुसार सर्च के दौरान या 60 दिनों के भीतर सर्च ‎अधिकारी प्रिंसिपल डायरेक्टर या डायरेक्टर जनरल या प्रिंसिपल ‎डायरेक्टर या डायरेक्टर की अप्रूवल लेकर निर्धारिती की संपत्ति को छह ‎माह के लिए अटैच कर सकता है तथा उस संपत्ति की वैल्यूएशन भी ‎करवा सकता है

e.‎ सर्च के दौरान दिए गए स्टेटमेंट 132 (4) मे दिए जाते हैं इसलिए ‎अगर आप समय पर इनको सबूतों के साथ नहीं नकारेंगे तो जो ‎आपने स्टेटमेंट किए हैं वह मान्य हो जाएंगे और अंत तक ‎आपके खिलाफ काम आएंगे लेकिन सर्वे के दौरान दिए गए ‎स्टेटमेंट को आप कभी भी नकार सकते हैं लेकिन उसके लिए भी ‎आपको सबूत तो चाहिए ही

f.‎ सर्च करने के लिए अप्रुवल का अधिकार जॉइंट डायरेक्टर या ‎जॉइंट कमिश्नर या इसके ऊपर के अधिकारी को पहले से ही था ‎। सर्वे करने के लिए पहले प्रिंसिपल डायरेक्टर या डायरेक्टर या ‎प्रिंसिपल कमिश्नर या कमिश्नर की अप्रूवल लेनी पड़ती थी ‎लेकिन अब इस का अधिकार जॉइंट डायरेक्टर या डिप्टी ‎डायरेक्टर या असिस्टेंट डायरेक्टर को भी सोप दिया गया है

g.‎ जब भी किसी के सर्च होती है और उसके यहां किसी ऐसे व्यक्ति के पेपर ‎या संपत्ति आदि मिलते हैं तो उस व्यक्ति को भी धारा 153C मे नोटिस ‎देकर कार्यवाही की जाती है उस कार्य को करने से पहले अधिकारी को ‎एक सेटिस्फेक्शन नोट बनाना पड़ता है अगर उस सेटिस्फेक्शन नोट को ‎नहीं बनाया जाता है या सेटिस्फेक्शन नोट सही नहीं बनता है तो कई ‎बार विभिन्न न्यायालयो ने पूरा असेसमेंट खारिज कर दिया है इसलिए ‎हमको सेटिस्फेक्शन नोट की कॉपी एवं नोटशीट की कॉपी लेनी चाहिए ‎और उससे कई बार बहुत बड़ा लाभ हो जाता है

h.‎ जब भी सर्च होती थी तो पहले धारा 132 में सर्च होने का रिजन रिकॉर्ड ‎करना पड़ता था और कई बार रिजन रिकॉर्ड प्रॉपर नहीं होने पर ‎assessee को इसका लाभ मिला है अब नए नियम के अनुसार रीजन ‎रिकॉर्डेड को नहीं मागा जा सकता तथा कोई भी ट्रिब्यूनल या अधिकारी ‎भी नहीं मांग सकता। मित्रों अब धारा 153A मे एक नया परिवर्तन हुआ ‎है जिसके अंतर्गत सर्च होने के बाद फाइल जब सेंट्रल सर्किल में जाती है ‎तो पहले तो जिसकी सर्च हुई है उन सभी का असेसमेंट करना ‎अत्यावश्यक था लेकिन अब कर अधिकारी को रीजन रिकॉर्ड करना ‎पड़ेगा और अगर कोई रीजन है तो ही धारा 153 ए में कार्यवाही होगी एवं ‎असेसमेंट किया जाएगा अगर रिजन रिकॉर्डेड प्रॉपर नहीं है तो सारे ‎असेसमेंट की कार्यवाही निरस्त की जा सकती है तो मित्रों मेरे हिसाब से ‎तो नए बजट में इसका बहुत बड़ा लाभ हुआ है और जो अनावश्यक कार्य ‎भी होती थी वह अब नहीं होगी या हो भी जाएगी तो निरस्त हो जाएगी ‎कहने का तात्पर्य यह है कि अब आप सर्च होने का कारण नहीं ‎मांग सकते लेकिन सर्च होने के बाद जो असेसमेंट की कार्यवाही ‎होती है उसके पहले अधिकारी को असेसमेंट का कारण लिखना ‎पड़ेगा और वह कारण आप मांग सकते हो और अगर वह कारण ‎समुचित नहीं है या कारण नहीं लिखा है तो सारी कार्यवाही ‎निरस्त हो जाएगी
‎ ‎

‎3.‎ जब भी आयकर का छापा पड़ता है एक व्यक्ति को निम्न चीजों का ‎सामना करना पड़ता है ‎

a.‎ उसके पास जीतने भी लूज पेपर पड़े हैं उन पर लिखे हुए रकमो ‎का हिसाब देना। इंसान का एक स्वाभाविक स्वभाव होता है ‎जितने भी लूज पेपर पड़े होते हैं वह सोचता है कि यह कभी ‎काम आएंगे। मेरे 30 साल की प्रेक्टिस के जीवन में मैंने पाया है ‎कि वह सिर्फ उसके खुद के तकलीफ देने के अलावा कोई काम ‎नहीं आता उसके कारण मानसिक तनाव आर्थिक हानि समय का ‎नुकसान के इलावा कुछ भी हाथ नहीं आता। कई बार इंसान ‎सोचता है कि यह लूज पेपर बिल्कुल सही है मैं इसका जवाब दे ‎सकता हूं लेकिन मित्रों ज्यादा समय बीत जाने के बाद हमको ‎याद नहीं आता कि यह पेपर किस काम का था और उसमें ‎उसका संबंध खाता बही से दिखाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। ‎समझदारी इसी में है कि रोज के रोज लुज़ पेपर को देखकर ‎समझ कर फाड़ देना। ‎

b.‎ इसलिए समझदार व्यक्ति अपने सीऐ को भी कह कर रखता है ‎कि जब आप ऑडिट करें तो मेंरे स्टाफ के पास कितने लूज ‎पेपर्स या रजिस्टर या डायरी पड़े हैं उसका भी रिपोर्ट देवे। विशेष ‎तौर पर अकाउंटेंट चौकीदार स्टोर कीपर सेल्स मैन प्रोजेक्ट ‎डिपार्टमेंट खरीद विभाग प्रोडक्शन विभाग आदि में। रोज़ की रोज़ ‎पेपर फाड़ना रोज़ की रोज़ अकाउंट्स को लिखना रोज़ की रोज़ ‎हिसाब मिलाना अत्यावश्यक है इसकी तो नियम बना ले इसका ‎नियम से पालन भी करें।

c.‎ आपके पास जितनी भी ज्वैलरी पड़ी है इसके लिए आयकर ‎विभाग का एक सर्कुलर भी निकला हुआ है जिसके अनुसार घर ‎की प्रत्येक शादीशुदा महिला के लिए 500 ग्राम प्रत्येक अविवाहिता ‎के ढाई सौ ग्राम तथा प्रत्येक पुरुष या बच्चे का 100 100 ग्राम ‎ज्वैलरी तक कुछ भी नहीं पूछा जाएगा कि यह माना जाएगा यह ‎घोषित है अगर आपको उससे ज्यादा ज्वैलरी घोषित सिद्ध करनी ‎है तो उसका समय-समय पर निरीक्षण करके वैल्यूएशन करवाना ‎यह देखना की सभी प्रकार की ज्वैलरी के बिल, उसके भुगतान की ‎रसीद, उसका भुगतान करने का सबूत उस समय की बैंक ‎स्टेटमेंट या बैंक की पासबुक की कॉपी आपके पास होना बहुत ‎आवश्यक है।

d.‎ रोज़ की रोज़ अपने बिजनेस वाली फर्मों के अकाउंटस को तो ‎लिखना आवश्यक है ही। अपनी व्यक्तिगत खाता बही को भी ‎रोज की रोज लिखाने की आदत डालें इसके लिए अपने अकाउंटेंट ‎को कहे तथा अपनी ऑडिट वाली टीम को भी कहे की इसकी भी ‎रिपोर्ट देवे

e.‎ अपने कंप्यूटर को भी महीने में कम से कम एक बार चेक करने ‎की आदत डालें व्यर्थ की फाइलों को हटाए व्यर्थ के हिसाब को ‎भी हटाए समय-समय पर प्रॉपर फॉर्मेट कराएं सही ढंग से फॉर्मेट ‎करने का तरीका सीख ले व्यर्थ की पेन ड्राइव फ्लॉपी आदि ना ‎रखें समय-समय पर इनको भी चेक करना सीख लें अगर कोई ‎कंप्यूटर पुराना हो गया हो और काम नहीं आ रहा तो उसको बेच ‎दे।

f.‎ अपने परिवार में भी समय-समय पर सारी अलमारी यों को चेक ‎करें व्यर्थ के पेपर व्यर्थ के pen drive आदि वहां से भी हटा दें ‎याद रखें इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है जिसके ऊपर ‎गुजरती है वही जानता है कि यह कितनी बड़ी और समझदारी ‎की राय है अगर समय पर नहीं समझे तो बहुत बड़ी कीमत दे ‎कर ही इसको समझना पड़ता है ।

g.‎ मित्रों जब भी आप कोई मूल्यवान संपति खरीदें जैसे कार ‎ज्वेलरी चांदी सोफा जमीन या जायदाद आदि तो उसका बिल वह ‎भुगतान करने का सबूत बैंक पासबुक या स्टेटमेंट एवं जिसको ‎भुगतान किया है उसकी रसीद एक अलग फाइल में डालने की ‎आदत डाल दे उस फाइल में चाहे 10 साल पुराना भी बिल हो ‎उसी में पड़ा रहने दे जब भी आयकर का छापा पड़ता है तो हर ‎संपत्ति का जवाब देना पड़ता है अगर कोई संपति 10 साल पहले ‎से खरीदी हुई है तो उसका कोई हिसाब नहीं देना पड़ता लेकिन ‎यह साबित करना पड़ता है की इसे 10 साल पहले खरीदा गया ‎था इसलिए बिल बहुत आवश्यक है कोई कारण से बिल नहीं ‎मिल रहा है तो अन्य सबूत जैसे नगर निगम की कोई रसीद ।
‎ ‎

h.‎ इसी प्रकार से आपने कोई आयकर चुकाया है तो उसके चालान ‎की प्रति को एक फाइल में डाले आयकर विभाग आपसे 15 साल ‎पुराना या इससे भी ज्यादा पुराना डिमांड का नोटिस दे सकता है ‎क्योंकि कोई समय सीमा नहीं है अगर आपके पास इसके ‎भुगतान की चालान नहीं है तो आपको मय ब्याज के उसको ‎भरना पड़ेगा। ‎

i.‎ अगर आप किसी फर्म में पार्टनर है या डायरेक्टर है और अब ‎आपका उससे संबंध कोई कारण से हट गया है तो आप तुरंत ‎उस से ऑफिशियली अलग हो जाएं। कारण की अगर उसके छापा ‎पड़ेगा तो आप पर भी छापा पड़ेगा। ध्यान रहे ज्यादातर पूरे ग्रुप ‎पर छापा पड़ता है और विभाग इस बात का ध्यान नहीं रखता ‎कि अभी आप उस में एक्टिव नहीं। है। इसलिए आप जिस जिस ‎में पार्टनर है या डायरेक्टर है तो आपको यह सुनिश्चित करना ‎चाहिए उस फर्म ने समय पर आयकर का विवरण भर दिया है ‎तथा आयकर चुका दिया है। उस फर्म की आयकर विवरण, बैलेंस ‎सीट, प्रॉफिट एंड लॉस एकाउंट, उस में विद्यमान खाते की कॉपी ‎आदि अपने पास समय समय पर लेकर रखे
‎ ‎

‎4.‎ अब कुछ बातें आप के अधिकार के संबंधित

a.‎ आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं छापा मारने वालों के आई कार्ड ‎को मांगकर देख कर जांच कर की छापा मारने वाले आयकर ‎अधिकारी ही है । आप सर्च वारंट भी देख सकते हैं। शुरू में आप ‎उनकी भी तलाशी ले सकते हैं।
b.‎ महिलाओं की जांच केवल महिला अधिकारी ही कर सकती है
c.‎ अगर आपको बीमारी से संबंधित कोई प्रॉब्लम खड़ी हो गई है तो ‎आप को यह अधिकार है कि आप डॉक्टर को बुलाएं इससे आपको ‎कोई नहीं रोक सकता।
d.‎ बच्चे समय पर स्कूल जा सकते हैं।
e.‎ मित्रों बहुधा होता है कि आयकर अधिकारी जो छापे या सर्वे के दौरान ‎आते हैं वह एक टारगेट लेकर चलते हैं और आपको डराते हैं धमकाते हैं ‎कहते आपको जेल हो जाएगी आपके अगर सीए जो भी है उसको भी कई ‎बार फोन पर आपके सामने डराते हैं और किसी तरीके से आपको नर्वस ‎करना चाहते हैं अगर आकर घर पर बुरा मत कोई ब्लू फिल्म या विदेशी ‎मदिरा परी हो या कोई ऐसा काम हो जिसमें आपको जेल हो सकती है तो ‎उसको दिखा कर भी आप को डराते हैं उस उस समय आपको नर्वस होने ‎की जरूरत नहीं है कारण यह है कि उन का एकमात्र टारगेट सरेंडर करा ‎कर ज्यादा से ज्यादा टैक्स लगाना है आप यह बात अच्छी तरह से ‎समझ लें कि जो आयकर अधिकारी आपको डराने आया है वह केवल ‎आप को सरेंडर करा कर जाएगा छापा या सर्वे का काम वही खत्म नहीं ‎होगा वह तो सिर्फ एक अपनी अप्रेजल रिपोर्ट बनाएगा और सेंट्रल सर्किल ‎या आपके संबंधित वार्ड में अपनी रिपोर्ट देगा और उसके बाद कम से ‎कम 1 साल बाद आप क्या केस का असेसमेंट होगा इसलिए आप जब ‎भी सर्च हो या सर्वे हो तो शांति रखें और जब भी कोई आपको डर आए तो ‎आप उस को समुचित व्यवहार के लिए कहें।

f.‎ अगर कोई बात आपको ध्यान में नहीं आ रही है तो आप जल्दी-जल्दी में जवाब ‎नहीं दें आपका छुटकारा जो ऑफिसर आए हैं उनके जाने से नहीं होगा बल्कि जो ‎आप बोलोगे या स्टेटमेंट दोगे उसका जवाब प्रॉपर ढंग से कम से कम 1 साल बाद ‎देने से ही होगा इसलिए आप कभी भी जल्दबाजी में कोई जवाब नहीं दें आपको ‎अगर समझ नहीं आ रहा है तो आप कहिए थोड़ा रुकिए या यह कहिए कि मैं ‎बुक्स देख कर जवाब दे सकता हू या आप कह सकते हैं कि अभी मुझे याद नहीं ‎आ रहा है कृपया मुझे समय दीजिए याद रखें आप हर बात के लिए यह बात नहीं ‎कह सकते लेकिन कोई भी महत्वपूर्ण बात के लिए आपको यही कहना है जो बात ‎आपने कही है उसको आप अधिकारियों के जाने के तुरंत बाद लिख कर रख लें ‎ताकि बाद में आप अपने सलाहकार से पूछकर उसके संबंधित जवाब तैयार कर ‎सकते हैं क्योंकि समय बीतने के बाद में आप ने क्या कहा था आप भूल सकते हो
g.‎ जो भी ज्वैलरी जब्त की जाती है उसकी एक प्रॉपर लिस्ट बनाई जाती है ‎उसको एक या अधिक बॉक्स में सील किया जाता है इस समय आप ‎कृपया ध्यान रखें कि उनको सही ढंग से रखा जा रहा है या नहीं। आपको ‎अधिकार है कि आप कहें कि इनको ठीक ढंग से रखें।
h.‎ ज्वेलरी का जब मूल्यांकन किया जाता है उस समय अगर वह ज्वैलरी ‎आपकी नहीं है है तो आप स्पष्ट कर सकते हैं और अगर आपको ध्यान ‎रहे जिस आदमी की ज्वेलरी है उसका नाम बता सकते हैं जब भी ज्वैलरी ‎की मूल्यांकन होती है उसमें आप सावधानी बरतें इस समय अगर आप के ‎बयान भी लिए जा रहे हैं तो आप उनको निवेदन करते हैं कि एक बार मूल्यांकन ‎का काम हो जाए तो उसके बाद बयान जारी रख सकते हैं । कारण यह है कि ‎अधिकारी उस समय कम-से-कम डब्बो में ज्वेलरी डालना चाहते हैं ताकि स्थान ‎कम घेरे लेकिन उसके कारण बहुत सारी ज्वेलरी टूट जाती है और आप को ‎नुकसान हो सकता है इसका कारण यह है कि बहुत बार आयकर अधिकारी भी ‎चोर होते हैं और आपको बयानों में उलझाकर डायमंड गायब कर सकते हैं ऐसा ‎पकड़ा भी गया है और जिनके यहां छापा पड़ता है उनको इसका बाद में अनुभव ‎होता है इसलिए उस समय सावधान रहें
‎ ‎

i.‎ सर्वे या सर्च के दौरान स्टॉक का भी वेरिफिकेशन किया जाता है उस ‎समय बहुत ज्यादा सावधानी की जरूरत है अगर आयकर अधिकारी ‎आइटम का नाम गलत लिख देंगे या आइटम की संख्या कम या ज्यादा ‎लिख देंगे तो उसको बाद में सही कराना बहुत मुश्किल है जो वस्तु है ‎उसकी दर या रेट तो आप बिल के द्वारा वेरीफाई करा सकते हैं लेकिन ‎आइटम का नाम या उसकी संख्या को वेरीफाई कराने में बहुत ज्यादा ‎मुश्किल है और आपको यह प्रमाणित करना पड़ेगा की स्टॉक का ‎वेरिफिकेशन हीं गलत हुआ है इसलिए उस में बहुत सावधानी रखनी ‎चाहिए अगर आप पर कोई अनुचित दबाव डालता है तो आपको और नहीं ‎डरना चाहिए

‎5.‎ जब आयकर का छापा पड़ता है या सर्वे होता है तो उसके बाद मैं आयकर ‎अधिकारी को उसकी एक रिपोर्ट बनानी होती है उस समय कई बार आयकर ‎अधिकारी को लगता है कि कोई बात छूट गई है तो ए क्या कुछ अधिकारी ‎आपके यहां वापस सर्च या सर्वे के लिए आ सकते हैं सो कृपया ध्यान रहे

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