Happiness, कहानियां, प्रेरणादायक कहानियां, लेखक ब्रहम प्रकाश मूंदड़ा, सोच को बदलो सितारे बदल जायेंगे
एक कहानी-समझ, सेठ और भिखारी
दोस्तों मैंने इस नई कहानी को एक प्रेरणादायक कहानी बनाने की कोशिश की है। आपको कैसी लगी मुझे बताइएगा। मेरे पास बहुत लोग आते हैं जिनको कही न कही घाटा हो जाता है या फिर अपने बच्चों को बिजनेस कराना चाहते हैं या खुद में परिवर्तन लाकर एक सफल व्यक्ति बनना चाहते हैं। मैंने इसको एक कहानी का रूप दिया है। एक समय था जब सेठ नाम बड़ा इज्जत वाला होता था समाज की प्रोग्रेस में उसका बड़ा हाथ होता था अब ना जाने क्यों इसका एक विकृत रूप हो गया है। आज भी सही अर्थों में सेठ नाम बड़ा इज्जत वाला है हां इस का चोला पहनकर भेड़िए जरूर घूम रहे हैं। हमको आज भी समाज में सही अर्थों का सेठ तो चाहिए ही। तो आइए कहानी शुरू करते हैं।
आओ भाई राजेश कैसे आना हुआ सेठ घनश्याम दास जी ने बड़े हंसते हुए कहा। राजेश ने सेठ जी को प्रणाम किया और कहां आपके लिए तो मैं राजू हूं आप मुझे राजू ही कहा करो। सेठ घनश्याम दास जी मुस्करा दिए।
राजू जो अब बड़ा सेठ बन गया था बोला भाई साहब एक बहुत बड़ी समस्या लेकर आया हूं आपके पास मेरी हर बात का समाधान होता है। मेरे बेटे को मैंने एक करोड़ दे दिया उसको व्यापार पहले के लिए एक बड़ा प्रोविजन स्टोर शहर के सबसे बड़े मॉल में पूरे माल को भरकर अच्छी तरह से सुसज्जित कर दिया। 1 साल में बहुत बड़ा घाटा कर लिया सारे पैसे डुबोकर वापस घर आ गया और मुझे ही दोष देता है कि आपने मेरा पूरा 1 साल खराब कर दिया है मैं जो चाहता था वह नहीं कर पाया और फैलियर का ठप्पा भी मेरे पर लग गया। पैसा भी गया मैं भी परेशान हूं बेटा भी परेशान हैं और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है क्या करूं?
सेठ घनश्याम दास जी पूरी बात बड़ी शांति से सुन रहे थे। पूरी बात सुनकर मुस्कुराए और बोले इतनी देर से पानी लाया हुआ पड़ा है पहले ठंडा पानी पी लो चाय आ गई है वह भी नाश्ते के साथ ले लो। राजू का मन बिल्कुल शांत नहीं था परेशान, क्रोधित व चिंतित था। सेठ जी का बहुत आदर करता था इसलिए चुप चाप चाय पीने लग गया नाश्ता सेठ जी के दो बार बोलने पर किया।
सेठ घनश्याम दास जी ने कहा सबसे पहले तो तुम्हारे में यह कमी है कि तुम चिंतित, क्रोधित और निराश हो रहे हो। समस्या का समाधान चिंता नहीं चिंतन होता है। और चिंतन उसी समय हो सकता है जब मन शांत हो प्रभु और खुद पर विश्वास हो। तुम्हें याद रखना चाहिए वह तुम्हारा ही बेटा है समझ जाएगा हा समय थोड़ा लगेगा तुम्हें भी तो लगा था। यह कहते ही सेठ राजेश उस काल में पहुंच गया जब वह इसी शहर की मेन रोड पर पर भीख मांगा करता था और उसकी मुलाकात सेठ घनश्याम दास जी से हुई थी।
भीख मांगने के लटके झटके उसे खूब आते थे और हर किसी से भीख मांगने में सफल हो जाता था शिवाय सेठ घनश्याम दास जी के। भिखारी राजू एक बार जो ठान लेता था वह जरूर पड़ता उसने भी ठान लिया था सारी दुनिया मुझे भीख दे देती है यह सेठ मुझे क्यों नहीं देता। और एक दिन उसने पूछ ही लिया सेठ जी आप इतने दयालु और समझदार दिखते हैं फिर मुझे भी क्यों नहीं देते इतने कंजूस आप क्यों हैं।
सेठ जी ने कहा मैं व्यापारी हूं व्यापार करता हूं मेहनत और समझदारी से पैसा कमाता हूं। यह पैसा मैं भीख में नहीं दे सकता। भिखारी राजू को बड़े गुस्सा आया। रात भर सोचता रहा ऐसा क्या करूं जिससे मुझे इस सेठ से मुझे भीख मिल जाए। जिस जगह पर भीख मांग रहा होता है वहीं पर एक मंदिर भी था उसने वहां पर फूल वाले दुकानदार से अबकी बार भीख में फुल मांगे। फूल वाले की एक माला टूटी ही थी उसने वह टूटी माला भिखारी राजू को दे दी। उसमें 10 फूल थे।
अभी माला हाथ में ली ही थी कि सेठ जी आ गए भिखारी राजू ने कहा सेठ जी फूल ले लो। सेठ घनश्याम दास मुस्कुराए और एक फूल लिया और ₹50 उसको दे दिए। और भी कई ग्राहक खड़े थे उन्होंने कहा हमें भी एक एक फूल दे दो हम ₹2 देंगे उसके पास नो फूल बचें थे। आधे घंटे में उसके पास कुल ₹68 हो गए। राजू बड़ा खुश हुआ। उसने दूसरे दिन फिर फूल वाले से फुल मांगे तो फूल वाले ने कहा रोज रोज भीख नहीं दे सकता 50 पैसे का एक फूल है लेना हो तो लो तो उसने ₹10 दिए तो उसको 20 फूल मिल गए।
फिर वह वहीं चौराहे पर सेठ के इंतजार में खड़ा हो गया सेठ जी आए फूल लिया और उसको ₹20 दिए। भीख तो चाहे जितनी मिले क्या फर्क पड़ता है लेकिन बाकी के 19 फूल₹2 प्रति फूल बिक गए आज उसको कुल ₹58 मिले थे कल से ₹10 कम। भिखारी राजू की एक आदत थी।
खाना खाने जीते रुपए मिल जाते हैं तो भीख नहीं मांगना। ₹58 लेकर वह घर चला गया। तीसरे दिन उसने 100 फूल लिए। और सेठ घनश्याम दास की इंतजार में खड़ा हो गया। सेठ जी आए उसे देखा मुस्कुराए और बोला अरे वाह तुम तो व्यापारी बन गए आज मुझे 10 फूल चाहिए। राजू बड़ा खुश हुआ तुरंत 10 निकाल के लिए सेठ जी ने ₹20 निकाले और फूल लेकर चलते बने। भिखारी राजू देखता ही रह गया गुस्सा तो बहुत आया लेकिन कुछ बोल ही नहीं पाया देखते ही देखते उसके बाकी 90 फूल भी बिक गए और उसके पास ₹200 आ गए। खरीद के ₹50 घटा कर रुपए 150 रुपए का नफा था। आज जितना पैसा तो उसने कभी देखा ही नहीं लेकिन फिर भी उसको बहुत गुस्सा आया हुआ था सेठ ने मेरे को धोखा दिया है। यह कहते हुए घर चला गया।
सुबह 3:00 बजे उठा मन साफ था प्रभु का नाम लिया और उसी समय उसे ज्ञान हो गया अरे मैं अब भिखारी कहां हूं? क्यों मुझे किसी से भीख या सहायता चाहिए। अपनी मेहनत से मैंने डेड सो रुपए कमाए हैं और आगे का भविष्य उज्जवल है। मैंने सेठ जी पर क्रोध व्यर्थ किया। मेरे मन के लालची स्वभाव ने उम्मीदें जगाई। नहीं नहीं सेठ घनश्याम दास तो भगवान है मैंने कितनी गंदी सोच रखी मेरे को उनसे माफी मांगनी है उन्होंने मुझे इतना बड़ा ज्ञान दिया इतना बड़ा सहारा दिया कि मैं अब इतना मजबूत हो गया कि मुझे किसी सहारे की जरूरत नहीं। इंसान जब स्वतंत्र रूप से कमाने लग जाता है तभी उसकी सही अर्थों में आजादी होती है। अब मेरे को किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं अब मुझे किसी सहारे की जरूरत नहीं मैं खुद मेहनत करूंगा और मैं किसी का सहारा बनूंगा। अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर बोला हे भगवान अब मैं सेठ हूं। मेरी सोच को बहुत अच्छी और उत्तम बनाएं रखना। अब तो प्रभु केवल एक तेरा सहारा चाहिए बाकी तो मैं भी किसी असहाय का सहारा बनूंगा।
अगले दिन उसी जगह पर वह खड़ा था व्यापारी बनकर भिखारी बन कर नही। कपड़े भी वह बड़े साफ-सुथरे और ढंग से पहन कर अच्छी तरह से नहा धोकर दाढ़ी करके आया था। होशियार तो वह पहले से ही था रास्ता मिल गया था। आज उसकी आंखों में एक सच्चे सेट की चमक थी। और सेठ घनश्याम दास जी आए। उसको देख कर मुस्कुराए उसे अपने गले मिलाया और बोला वाह बहुत अच्छा परमपिता परमेश्वर की तुम्हारे पर कृपा रहेगी खूब जमकर व्यापार करो। सेठ जी को उसने प्रणाम किया और बोला मैं आपसे आशीर्वाद में सिर्फ यही मांगता हूं कि मैं अच्छी समझ बनाए रखु।
आज वही राजू जो भिखारी राजू था सेठ घनश्याम दास जी के पास फिर ज्ञान लेने आया था। सेठ घनश्याम दास जी ने कहा राजू तुमने जब मर्सिडीज करी थी थी तो तुम्हें चलानी आती थी हां भाई साहब मैंने उसकी पूरी ट्रेनिंग ली थी और जब तक ट्रेनिंग पूरी नहीं हुई तब तक ड्राइवर ही गाड़ी को चला रहा था। तो एक गाड़ी चलाने से पहले ट्रेनिंग लेनी पड़ती है तुमने अपने बच्चे को व्यापार शुरू करने के लिए करोड़ों रुपए लगा दिए और वह भी बिना ट्रेनिंग के। उसको तो समझ ही नहीं की कि करोड़ों रुपए होते क्या है और व्यापार कैसे चलाया जाता है। उम्र से जरूर बड़ा हो गया लेकिन उसने कभी ₹1 तक नहीं कमाया था। अच्छा तुम बताओ एक पल के लिए मान लो तुम तुम्हारे बेटे को मर्सिडीज कार गिफ्ट में देते हो शहर से 10किलोमीटर दूर छोड़ देते हो उसे गाड़ी चलानी नहीं आती तो उसके साथ क्या होगा। सेठ जी ने आगे कहा गाड़ी उसको चलानी आती नहीं स्वभाविक तौर पर कोशिश करेगा तो गाड़ी तोड़ देगा कहीं एक्सीडेंट कर बैठा तो क्लेम और भरना पड़ेगा। पुलिस और कोर्ट के चक्कर अलग से लगेंगे गाड़ी की बर्बादी होगी वह अलग। घर आकर आपको दोषी और ठहराएगा और आप बोलोगे मैंने तो तुम्हें मर्सिडीज दी है ऊपर से मुझे दोषी ठहरा रहे हो। युवा जिसको कोई अनुभव नहीं पहले उसको व्यापार की ट्रेनिंग दिलाते उसके लिए समय देते उसको रुपए पैसे की कीमत समझाते उसको आदमी पहचानना सिखाते। तो आज यह स्थिति खड़ी नहीं होती।
अपने बच्चों को समय नहीं देंगे तो काम कैसे चलेगा। समय देने का मतलब यह नहीं कि आप उनको स्वतंत्रता से कुछ करने ही नहीं दो। उनको सब कुछ अपने हिसाब से करने दो बस उनको समझते रहो और सोच समझ कर या किसी और होशियार की राय लेकर उनके रास्ते की मजबूती की जांच करते रहें कहीं किसी के ट्रैप में नहीं आ रहे हैं कहीं गलत आदमी के संगत में नहीं जा रहे हैं यह ध्यान रखना है बाकी तो खुद को खुद को ही समझने दो। मैंने भी तो तुम्हारे साथ यही किया। इस मुकाम की शुरुआत तुम्हें मालूम नहीं थी तुम्हारा विजन तो केवल भीख मांगना था मैंने उसे बदला और उसके बाद शुरू में सहायता की बाद में तो मैंने केवल व्यापार किया यही काम तुम्हें अपने बच्चे के साथ करना चाहिए था।
उसकी शिकायत मत करो उसकी कमियां मत ढूंढो बस उसके साथ समय दो उसे ज्यादा ज्ञान भी मत दो बस साथ रह लो बाकी काम तो उसको खुद को करने दो विश्वास रखो तुम्हारा बच्चा तुमसे भी अच्छा करेगा बस उसको उसका उचित समय आने दो। उसका इंतजार करो।
हां बच्चे को यह ट्रेनिंग देना बहुत जरूरी है कि वह अपनी सोच अच्छी रखें, पजेसिव ना हो, इगो ना हो, खर्चे पर उसका कंट्रोल हो। व्यापार करने के लिए बहुत सारे रुपए नहीं चाहिए शुरुआत में तो ज्यादा रुपए होने पर या ज्यादा सुविधा होने पर घाटे ही होते देखे गए हैं क्योंकि जितने आकार का वजन का व्यापार खोल लेते हैं उतनी समझ पैदा नहीं होती इसलिए कोई भी काम बहुत ही कम पूंजी से स्टार्ट करना चाहिए उधार कभी नहीं बेचना चाहिए।
व्यापार के बाकी सफलता के मंत्र अगली कहानी में
इंतजार कीजिए
Happiness thinker
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